गामक याद

श्री मुनीन्द्र मिश्रा


हंस विहीन अछि गामक पोखैर,

बोगलो धरी निष्प्राण भेल अछि ।


पीक बसंत सब भाग परायल,

कलम बाग सब सुनसान भेल अछि ।


बरद महिस बिन खाली अछि खुट्टा,

सब बथान बीरान भेल अछि ।


कौआ मैना सब गाम छोड़ देलक,

गाम आय समसान भेल अछि ।


भाईग रहल अछि गाम छोड़ क,

नगर लेल सब प्रस्थान भेल अछि ।


बुढ़बा बुढ़िया झाम बुरैत अछि,

बेटा पुतौह अज्ञान भेल अछि ।


पढ़-लिख नय करता उद्द्यम,

चाकरियो भगवान भेल अछि ।


देश विदेश कतौ नय छोड़लक,

गामक बड अपमान भेल अछि ।


जखन जखन हम गाम जाइत छी,

अपन बचपन के मून परैत अछि ।


गाछी बिरछी खेत बाँध सब,

सधखन प्रतीक्षा हमर करैत अछि ।


पोखर डबरा नदी इनार सब,

कनैत कनैत बताह रहैत अछि ।


बूढ़-जवान ओ नुनका-बुटका,

हमरा स सब स्नेह करैत अछि ।


बाबा, कक्का, भैया कहय कहय क,

सब कियो हमरा गोर लगैत अछि ।


एहन गाम के छोर क हमरा,

कतौ जेबाक नय मून करैत अछि ।


प्रेम प्रकृति अछि दुनू गाम मे,

नगर में सब पाषाण भेल अछि ।


जीवन गाम के आइयो अनुपम,

गाम में देशक प्राण बसल अछि ।


करू उद्धार गामक सब मिलक,

सब ग्राम हमर सुनसान भेल अछि ।


लौट चलु सब अपने गाम के दिश,

गामे हमर कल्याण करैत अछि ।


आइयो गाम हमरा बहुत नीक लगैत अछि ।


Story teller - Saurav Mishra | Story Maker - Keshav Kumar | Team Mithilak Baisar