गामक याद
हंस विहीन अछि गामक पोखैर,
बोगलो धरी निष्प्राण भेल अछि ।
पीक बसंत सब भाग परायल,
कलम बाग सब सुनसान भेल अछि ।
बरद महिस बिन खाली अछि खुट्टा,
सब बथान बीरान भेल अछि ।
कौआ मैना सब गाम छोड़ देलक,
गाम आय समसान भेल अछि ।
भाईग रहल अछि गाम छोड़ क,
नगर लेल सब प्रस्थान भेल अछि ।
बुढ़बा बुढ़िया झाम बुरैत अछि,
बेटा पुतौह अज्ञान भेल अछि ।
पढ़-लिख नय करता उद्द्यम,
चाकरियो भगवान भेल अछि ।
देश विदेश कतौ नय छोड़लक,
गामक बड अपमान भेल अछि ।
जखन जखन हम गाम जाइत छी,
अपन बचपन के मून परैत अछि ।
गाछी बिरछी खेत बाँध सब,
सधखन प्रतीक्षा हमर करैत अछि ।
पोखर डबरा नदी इनार सब,
कनैत कनैत बताह रहैत अछि ।
बूढ़-जवान ओ नुनका-बुटका,
हमरा स सब स्नेह करैत अछि ।
बाबा, कक्का, भैया कहय कहय क,
सब कियो हमरा गोर लगैत अछि ।
एहन गाम के छोर क हमरा,
कतौ जेबाक नय मून करैत अछि ।
प्रेम प्रकृति अछि दुनू गाम मे,
नगर में सब पाषाण भेल अछि ।
जीवन गाम के आइयो अनुपम,
गाम में देशक प्राण बसल अछि ।
करू उद्धार गामक सब मिलक,
सब ग्राम हमर सुनसान भेल अछि ।
लौट चलु सब अपने गाम के दिश,
गामे हमर कल्याण करैत अछि ।
आइयो गाम हमरा बहुत नीक लगैत अछि ।